Monday, July 21, 2008

भारत-अमरीका परमाणु करार में आए उतार-चढ़ाव


चार जुलाई 2008- वामपंथी दलों ने सरकार को एक चिट्ठी लिखकर कहा कि वह सात जुलाई तक बताए कि क्या वह भारत-अमरीका परमाणु मुद्दे पर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी(आईएईए) से वार्ता करने जा रही है.

एक जुलाई 2008- मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने कहा कि वह यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने पर विचार कर रही हैं. 

25 जून 2008- परमाणु करार पर पैदा हुए गतिरोध को दूर करने के लिए यूपीए के घटक दलों की बैठक हुई. बैठक में कोई नतीजा नहीं निकल सका. 

फ़रवरी 2008- अमरीका ने भारत से कहा कि वह राष्ट्रपति जार्ज डब्ल्यू बुश का कार्यकाल समाप्त होने से पहले परमाणु समझौता कर ले क्योंकि नई सरकार के आने पर नए सिरे समझौता करना पड़ेगा. 

दिसंबर 2007- वामपंथी दलों ने कहा कि सरकार आईएईए से बात करना बंद करे. 

नवंबर-2007- वामपंथी दलों ने अपने रुख़ में थोड़ी नरमी लाते हुए सरकार को परमाणु समझौते में भारत के हितों को लेकर अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से बात करने की अनुमति दी. वामपंथी दलों ने बाद में सरकार पर देश को गुमराह करने का आरोप लगाया. 

अक्तूबर-2007- कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा कि परमाणु करार के विरोधी, विकास विरोधी हैं. इसके बाद वामपंथी दलों और सरकार के घटक दलों के बीच बैठक हुई. जिसके बाद सरकार अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी से संपर्क करने थोड़ी और देर करने को तैयार हुई. 

अगस्त-2007- अमरीका और भारत में होने वाले 123 समझौते के विवरण को दोनों देशों में एक साथ जारी किया गया. भारतीय विश्लेषकों ने कहा कि यह भारत की माँग के अनुरूप है. सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे वामपंथी दलों ने कहा कि अगर सरकार ने यह समझौता किया तो वह सरकार से अपना समर्थन वापस ले लेंगे, क्योंकि यह समझौता देश की संप्रभुता के ख़िलाफ़ है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने समझौते का बचाव करते हुए इसे विकास के लिए ज़रूरी बताया. 

जुलाई-2007- दोनों देशों ने द्विपक्षीय समझौते पर महीने भर बातचीत के बाद समझौते को अंतिम रूप देने की घोषणा की. भारत ने कहा कि अगर इसमें कोई नई शर्त जोड़ी गई तो वह उसे स्वीकार नहीं होगा. 

दिसंबर-2006- अमरीकी संसद की ओर से बनाए गए क़ानून पर राष्ट्रपति जार्ज बुश ने दस्तख़त किए. इसमें अमरीका परमाणु ऊर्जा क़ानून में बदलाव किए गए थे. विशेषज्ञों ने कहा कि अगल छह महीनों में समझौते को मंजूरी मिल सकती है. 

दिसंबर-2006- अमरीकी संसद ने समझौते का अनुमोदन किया. भारत को अंतिम रूप से परमाणु हस्तांतरण के लिए 45 सदस्यों वाले परमाणु सप्लाई ग्रुप, अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी और अमरीकी संसद से एक और मंजूरी ज़रूरी है. 

मार्च-2006- अमरीकी राष्ट्रपति जार्ज बुश ने भारत की तीन दिनों की यात्रा की. इस दौरान भारत के रक्षा और नागरिक उपयोग के परमाणु रियेक्टरों को अलग- अलग करने की योजना पर दोनों देशों में सहमति बनी. 

जुलाई-2005- प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और अमरीकी राष्ट्रपित जार्ज डब्ल्यू बुश परमाणु करार पर सैद्धांतिक रूप से सहमत हुए. यह समझौता पिछले तीस सालों से भारत के साथ परमाणु समझैता न करने की नीति को उलटने वाला था.

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